freelancer

Wednesday, November 25, 2009

क्या ताजमहल वास्तव में शिव मंदिर है?

क्या ताजमहल वास्तव में शिव मंदिर है?

क्या ताजमहल वास्तव में शिव मंदिर है?
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

श्री पुरुषोत्तम नागेश ओक ने कई बार हिन्दू धर्म की दूसरे धर्मों पर श्रेष्ठता प्रमाणित करने का प्रयास किया है। साथ ही, यह तथ्य भी प्रमाणित करने का प्रयास किया है, कि भारतीय इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है, व उसमें से कई महत्वपूर्ण अंश काट छांट कर या बदल कर बताये बये हैं। उनके दुर्भाग्य से, वे इसे ढंग से पूरा नहीं कर पाये। व वे तथ्य उनके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों से भी सर्वोच्च न्यायालय को मान्य नहीं रहे। शायद इनके पीछे कोई अन्य छिपे (राजनीतिक) कारण भी रहे हों।
[संपादित करें] ताजमहल का अस्तित्व

पी.एन. ओक अपनी पुस्तक "ताज महल इस अ हिन्दू टेम्पल" देखिये द ट्रू स्टॊरी ऑफ ताजमहल में 100 से भी अधिक प्रमाण एवं तर्क देकर दावा करते हैं कि क्या ताजमहल वास्तव में शिव मंदिर है? जिसका असली नाम तेजो महालय है|

श्री पी.एन. ओक के तर्कों और प्रमाणों के अलावा और भी तथ्य छायाचित्रों के साथ प्रस्तुत है यहाँ पर ताजमहल का असली में तेजो महालय होने का समर्थन करने वाले ये वेबसाइट्स भी हैं

* Taj Mahal - A Hindu Temple-Palace (http://www.flex.com/~jai/satyamevajayate/tejo.html)

* tajmahal is a siva temple (http://tamizh.wordpress.com/2006/09/15/taj-mahal-is-a-siva-temple/)

श्री ओक ने कई वर्ष पहले ही अपने इन तथ्यों और प्रमाणों को प्रकाशित कर दिया था पर दुःख की बात तो यह है कि आज तक उनकी किसी भी प्रकार से अधिकारिक जाँच नहीं हुई| यदि ताजमहल के शिव मंदिर होने में सच्चाई है तो भारतीयता के साथ बहुत बड़ा अन्याय है| विद्यार्थियों को झूठे इतिहास की शिक्षा देना स्वयं शिक्षा के लिये अपमान की बात है|

क्या कभी सच्चाई सामने आ पायेगी?

ताजमहल या हिन्दू मंदिर – श्री पी.एन ओक के तर्क

श्री पी.एन. ओक का दावा है कि ताजमहल शिव मंदिर है जिसका असली नाम तेजो महालय है। इस सम्बंध में उनके द्वारा दिये गये तर्कों का हिंदी रूपांतरण (भावार्थ) इस प्रकार हैं -

नाम

1. शाहज़हां और यहां तक कि औरंगज़ेब के शासनकाल तक में भी कभी भी किसी शाही दस्तावेज एवं अखबार आदि में ताजमहल शब्द का उल्लेख नहीं आया है। ताजमहल को ताज-ए-महल समझना हास्यास्पद है।

2. शब्द ताजमहल के अंत में आये ‘महल’ मुस्लिम शब्द है ही नहीं, अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में एक भी ऐसी इमारत नहीं है जिसे कि महल के नाम से पुकारा जाता हो।

3. साधारणतः समझा जाता है कि ताजमहल नाम मुमताजमहल, जो कि वहां पर दफनाई गई थी, के कारण पड़ा है। यह बात कम से कम दो कारणों से तर्कसम्मत नहीं है – पहला यह कि शाहजहां के बेगम का नाम मुमताजमहल था ही नहीं, उसका नाम मुमताज़-उल-ज़मानी था और दूसरा यह कि किसी इमारत का नाम रखने के लिय मुमताज़ नामक औरत के नाम से “मुम” को हटा देने का कुछ मतलब नहीं निकलता।

4. चूँकि महिला का नाम मुमताज़ था जो कि ज़ अक्षर मे समाप्त होता है न कि ज में (अंग्रेजी का Z न कि J), भवन का नाम में भी ताज के स्थान पर ताज़ होना चाहिये था (अर्थात् यदि अंग्रेजी में लिखें तो Taj के स्थान पर Taz होना था)।

5. शाहज़हां के समय यूरोपीय देशों से आने वाले कई लोगों ने भवन का उल्लेख ‘ताज-ए-महल’ के नाम से किया है जो कि उसके शिव मंदिर वाले परंपरागत संस्कृत नाम तेजोमहालय से मेल खाता है। इसके विरुद्ध शाहज़हां और औरंगज़ेब ने बड़ी सावधानी के साथ संस्कृत से मेल खाते इस शब्द का कहीं पर भी प्रयोग न करते हुये उसके स्थान पर पवित्र मकब़रा शब्द का ही प्रयोग किया है।

6. मकब़रे को कब्रगाह ही समझना चाहिये, न कि महल। इस प्रकार से समझने से यह सत्य अपने आप समझ में आ जायेगा कि कि हुमायुँ, अकबर, मुमताज़, एतमातुद्दौला और सफ़दरजंग जैसे सारे शाही और दरबारी लोगों को हिंदू महलों या मंदिरों में दफ़नाया गया है।

7. और यदि ताज का अर्थ कब्रिस्तान है तो उसके साथ महल शब्द जोड़ने का कोई तुक ही नहीं है।

8. चूँकि ताजमहल शब्द का प्रयोग मुग़ल दरबारों में कभी किया ही नहीं जाता था, ताजमहल के विषय में किसी प्रकार की मुग़ल व्याख्या ढूंढना ही असंगत है। ‘ताज’ और ‘महल’ दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं।